Al Ama Qahar Hai Gous Manqabat अल अमां क़हर है ऐ ग़ौस lyrics

अल अमां क़हर है ऐ ग़ौस वोह तीखा तेरा मनक़बत हिंदी में / Al Ama Qahar Hai Gous Woh Teekha Tera Gaus Paak Manqabat Lyrics in Hindi


वस्ले चहारुम दर मुना फ़ - हते आ दाव इस्तिआनत अज आका 


अल अमां क़हर है ऐ ग़ौस वोह तीखा तेरा 

मर के भी चैन से सोता नहीं मारा तेरा 


बादलों से कहीं रुकती है कड़क्ती बिजली 

ढालें छंट जाती हैं उठता है जो तैगा तेरा 


अक्स का देख के मुंह और बिफर जाता है 

चार आईना के बल का नहीं नेज़ा तेरा 


कोह सरमुख हो तो इक वार में दो परकाले 

हाथ पड़ता ही नहीं भूल के ओछा तेरा 


इस पे येह कुह्र कि अब चन्द मुखालिफ़ तेरे 

चाहते हैं कि घटा दें कहीं पाया तेरा 


अक्ल होती तो खुदा से न लड़ाई लेते 

येह घटाएं उसे मन्जूर बढ़ाना तेरा


वारफाना लक्ज़ीकरक  का है साया तुझ पर 

बोलबाला है तेरा ज़िक्र है ऊंचा तेरा


Al Ama Qahar Hai Gous Woh Teekha Tera Gaus Paak Manqabat Lyrics in Hindi


मिट गए मिटते हैं मिट जाएंगे आ'दा तेरे 

न मिटा है न मिटेगा कभी चरचा तेरा 


तू घटाए से किसी के न घटा है न घटे 

जब बढ़ाए तुझे अल्लाह तआला तेरा 


सुम्मे ' क़ातिल है खुदा की क़सम उन का इन्कार 

मुन्किरे फ़ज़्ले हुज़ूर आह येह लिख्खा तेरा 


मेरे सय्याफ़ के खन्जर से तुझे बाक नहीं 

चीर कर देखे कोई आह कलेजा 


इब्ने ज़हरा से तेरे दिल में हैं येह ज़हर भरे 

बल बे ओ मुन्किरे बेबाक येह ज़हरा तेरा 


बाज़े अश्हब की गुलामी से येह आंखें फिरनी 

देख उड़ जाएगा ईमान का तोता तेरा


Al Ama Qahar Hai Gous Woh Teekha Tera Gaus Paak Manqabat Lyrics in Hindi


शाख़ पर बैठ के जड़ काटने की फिक्र में है । 

कहीं नीचा न दिखाए तुझे शजरा तेरा 


हक़ से बद हो के ज़माने का भला बनता है 

अरे मैं खूब समझता हूं मुअम्मा तेरा


सगे ' दर क़हर से देखे तो बिखरता है अभी 

बन्द बन्दे बदन ऐ रू - बहे दुन्या तेरा 


गरज आका से करूं अर्ज़ कि तेरी है पनाह 

बन्दा मजबूर है ख़ातिर 2 पे है क़ब्ज़ा तेरा 


हुक्म नाफ़िज़ है तेरा खामा तेरा सैफ़ तेरी 

दम में जो चाहे करे दौर है शाहा 


जिस को ललकार दे आता हो तो उलटा फिर जाए 

जिस को चुमकार ले हिर फिर के वोह तेरा तेरा


कुन्जियां दिल की खुदा ने तुझे दीं ऐसी कर 

कि येह सीना हो महब्बत का खजीना तेरा 


दिल पे कन्दा हो तेरा नाम कि वोह दुज़्दे रजीम 

उलटे ही पाउं फिरे देख के तुग़रा तेरा 


नज़्अ में , गोर में , मीज़ां पे , सरे पुल पे कहीं 

न छुटे हाथ से दामाने मुअल्ला तेरा 


धूप महशर की वोह जां - सोज़ क़ियामत है मगर 

मुत्मइन हूं कि मेरे सर पे है पल्ला तेरा 


बहजत उस सिर की है जो ‘ ‘ बजतुल असरार ’ ’ में है 

कि फ़लक ' - वार मुरीदों पे है साया तेरा 


ऐ रज़ा चीस्त ग़म अर जुम्ला जहां दुश्मने तुस्त 

कर्दा अम मा मने खुद क़िब्लए हाजाते रा


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